महादेव खोला धाम एक बहुत ही पौराणिक और प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर मेघालय, अप्पर शिलांग, इस्ट खासी हिल्स में स्थित हैं। उमशिरपी नदी मंदिर के सामने अपने शांत स्वभावके साथ बहती रहती है। कहा जाता है यह मंदिर डेढ़ सौ साल पहले स्थापित की गई थी।
अनेको कहानियाँ सुनने में आती है इस मंदिर के बारे में, मंदिर कैसे, क्यों और कब स्थापित हुई इस बारे में। कहा जाता है इस जगह पहले काफी घना जंगल था जहाँ लखिया बाबा वर्षो से धयान में लीन बैठे थे। वही एक 2/8 गोर्खा राइफल्स के सूबेदार मेजर को सपने में एक गहरे लाल वस्त्र पहने, गले में रूदराकश और एक हाथ में त्रिशूल लिए तपस्या में लीन बैठे दिखाई दिए। अकसमात एक रोशनी के बीचों-बीच से आवाज़ आई और सूबेदार जी को आदेश दिया, कहा उस साधु की तलाश करे और साथ ही वहाँ मंदिर की स्थापना भी करें।
अगले ही दिन सूबेदार जी आदेशानुसार उन महात्मा की खोज में निकल पड़े और उस जगह पहुँचे आज जहाँ महादेव खोला धाम है। लखिया बाबा के मिलते ही उनहोंने मंदिर स्थापना का कार्य भी आरंभ कर दिया। हैरानी की बात यह थी मंदिर स्थापना के कार्य करते समय उन्हे वहाँ एक शिवलिंग प्राप्त हुआ।
मंदिर के पंडितों का आज भी कहना है यह शिवलिंग उन्हे वही गुफा से प्राप्त हुई थी।
इस धाम के बारे में यह भी कहा जाता है कि यहाँ एक गुफा है जहा से अंदर ही अंदर गुवाहाटी, कामखया मंदिर पहुँच सकते है। लोगों का यह भी कहना तब के समय लोग यही से आया जाया करते थे।
150 साल पहले सूबेदार जी द्वारा स्थापित किया गया छोटा सा शिव मंदिर आज बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। हर शिव भक्त का यह मानना है कोइ भी सच्चे दिल से मुराद माँगते है वह कभी निराश नहीं होते है।
यहाँ के पंडितों का यह भी कहना है मंदिर के अंदर जो छोटे-छोटे मंदिर हैं। उन्हें भक्त जनो ने अपनी मुराद पूरी होने पर बनवाया है।
आज जो इस मंदिर की देख-रेख कर रहे है, वह पंडित सुखराम दास मिश्रा जी की छठी पीढ़ी है। सुखराम जी इस मंदिर के पहले पंडित थे।
शादी, यज्ञ और बहुत सारी हिन्दु रस्मों-रिवाज़ का इस मंदिर में आयोजन किया जाता है।
बात जब तीज-त्योहार की आती है महा शिवरात्रि के मेले का आयोजन बड़े धूम-धाम से होता हैं। हजारों के तादात में लोग जगह-जगह से इस मंदिर के दर्शन के लिए एकत्रित होते हैं। आज भी शिवरात्रि के उत्सव पर गोरखा राइफल्स अपना योगदान देते हैं।
सावन के महीने में बोलबम का नारा लगाते हुए भक्त जन नंगे पाँव कावड पद यात्रा के लिए महादेव खोला धाम में आते हैं और पूरी श्रद्धा के साथ अपनी भक्ति ईश्वर को अर्पित करते हैं।
सच्चाई कुछ भी हो पर भक्त जन पूरी श्रद्धा से अपनी भक्ति ईश्वर को अर्पित करते हैं। यह धाम बहुत ही लोकप्रिय है और श्रद्धालुओं की अटूट भक्ति ने इस धाम को पूरे देश में प्रसिद्ध कर दिया है।

अनुपमा प्रधान,  अध्यापिका हिन्दी में कविता, आलेख और कहानियाँ पत्रिकाओं में प्रकाशित। पूर्वोत्तर सेवा आकाशवाणी, दूरदर्शन, शिलांग से कविता और कहानी प्रसारण और अन्य कार्यक्रम में भागीदारी।

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