प्रखर दीक्षित, फर्रुखाबाद


स्वर्णिम भोर सा
वर्ण सुहावन
प्रवाह शौर्य का
तेज सुपावन। ।
ध्वज भारत की
गौरव माथा
समक्ष इसी के
झुकता माथा
दग्ध मनों की
यही प्रेरणा,
प्राच्य धरोहर
सिद्ध सनातन। ।
उन्नति अवनति
जीत पराजय
सृष्टि उदय से
बिंबित लय
प्रतिक्षण लहरे
धर्म ध्वजा,
अर्पण भारत भू पर
स्व तन मन धन। ।
कैवल्य आर्ष का
शिव का हर हर
वीरों का उद्घोष
पवन की फर फर
देवालय की
शिखा पताका
देवदण्ड का अर्चन। ।
मानवता की
मील शिला यह
लिखे प्रलेख
भारती के कह
स्वतंत्रता का
क्रांति गान तू
केसरिया को वंदन। ।

आजादी अमृत महोत्सव

मुझे बोनसाई नहीं होना

केसरिया

कठपुतली

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