एकादशी

वह एक है ,
अलौकिक है
मैं दास ही हूँ
वह परम है
उन्हें पूजना ही मेरा धर्म है
वह विशाल है
जीवन को जीने के लिए भगवत गीता में कहें सीख और मिसाल है
वही परमात्मा है
वही परम सत्य है
बाकी सब मिथ्या है
वो वासुदेव, नारायण , देवकीनन्दन और मधुसूदन है
उनमें लीन हो जाए मेरी आत्मा हर पल
वही प्रारंभ भी है
और वही अंत है।
वही सुदर्शन धारी है
अब मेरे कष्टों को काटने कि उनकी तैयारि है
वही सुबह और श्याम है
वही रुक्मिणी, राधा और मीरा के श्याम है।
वही नारायण है
वही सत्य है
वो जीव है
वो अजीव है
उनके आशिर्वाद से तुलसी भी नहींं निर्जीव है
वही शक्ति है

Anik

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