१। जन्म मन से पूरे हों वचन, तब जीवन का सार।
जीवन के कुरुक्षेत्र में, संयम का आधार।।
संयम का आधार, करे इच्छा सब पूरी।
मन से मन का नेह, हटा देता सब दूरी।।
मर्यादा के राम, बने जाकर हैं वन से।
अच्छे हों जब कर्म, लोग अच्छे हों मन से।।
२। कैसे उदघाटित करें, दुख में सारे सत्य।
दिखें आचरण में सदा, मानव के सब कृत्य।।
मानव के सब कृत्य, रखें कोशिश को जारी।
समझ सकें यदि गूढ़, भक्ति की महिमा न्यारी।।
गीत रचे अब भक्ति, नित्य स्वागत में जैसे।
दिशा बदल दे क्रोध, सहज निश्छल मन कैसे।।

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