अवनीत कौर ‘दीपाली’
अवनी ने बहुत गुस्से में फोन रखा और वही सोफे में बैठ अपनी आँखे बन्द कर खुद को सहज करने की कोशिश कर रही थी।
उसको रह रह कर फोन पर हुई बात परेशान कर रही थी! उसने कई जगह विज्ञापन दिया था की चार बच्चो को गोद देने के लिए।
उसी विज्ञापन को देखकर एक फोन आया . . .
अवनी ने फोन उठाया तो एक लड़की की आवाज थी. . . हेलो- मैं नीरा बोल रही हूँ! अवनी-हेलो, जी कहिए ! नीरा मैंने आपका विज्ञापन देखा मुझे भी एक बच्चा चाहिए।
अवनी-जी जरूर !
नीरा- बच्चा कितने महीने का है?
अवनी- 2 महीने का है।
नीरा -जी ठीक है, मैं कब लेने आ सकती हूँ?
अवनी- कभी भी आ सकती हैं।
नीरा-ठीक है मैं कल आऊँगी और मुझे मेल बच्चा चाहिए।
अवनी- पर मेरे पास तो सब फीमेल है मेल नहीं हैं।
नीरा- ओह, माफ कीजिए पर मुझे मेल ही चाहिए. . .
इतनी बात होते ही उधर से फोन कट कर दिया।
फोन रखते ही अवनी को गुस्सा आ रहा था। सोफे पर बैठी जब सोच रही थी की इंसानों ने जानवरों में भी लड़का लड़की (लिंगभेद) का भेद न छोड़ा। इतने में उसकी पालतू डॉगी प्यारी आ कर अवनी पास बैठ गई जसने 2 महीने पहले 4 फीमेल बच्चों को जन्म दिया था जिनकी अडॉप्टेशन के लिए उसने विज्ञापन दिया था।
अवनीत कौर दीपाली, का जालंधर पंजाब में जन्म हुआ। इनकी तुकांत, अतुकांत, लघुकथा, कहानी कई समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई है। अनेकों पत्रिका जैसे गृहशोभा, सरिता, वनिता गृहलक्ष्मी और असम की अनेकों पत्रिकाओं में इनकी कविताएं ज्ञापित हुई है। ।

Back to Autumn 2022