Sophy Chen from Pexels

नमिता थकी हारी घर पहुँची…दोपहर का समय था सो खाना परोसने सीधे किचन में चली गई।
“आज फिर धमाल चौकड़ी कर आई…”नमिता की सास ने कहा।
नमिता ने कोई जवाब नहीं दिया…क्योंकि वे दोनों एक दूसरे की अपेक्षाओं पर कभी खरी नहीं उतरी…काम खत्म कर बॉलकनी में आ बैठ गई…हताश हो सोचने लगी आज भी नौकरी नहीं मिली…खर्च कैसे चलेगा…एक्सीडेंट के बाद अमित की नौकरी भी जा चुकी है…इलाज भी चल रहा है।
तभी उसकी नजर छज्जे पर पड़ी…चिड़िया चूजों के मुंह में दाने डाल रही थी…उसे याद आया…”कुछ दिनों पहले ही मैंने इसे घोंसला बनाते देखा था”…नमिता के हौसलों को भी उम्मीद की किरण मिल गई।
कुमुद शर्मा

कुमुद शर्मा: मॉम्सप्रेस्सो, हिंदी प्रतिलिपी, आदि लेखक मंचो की ब्लॉगर वनिता, गृहलक्ष्मी आदि कई पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ, रचनाएँ प्रकाशित।