सीमा सिंह ‘स्वस्तिका’

माँ, आज नाश्ते में क्या बना है?
-पूछ तो ऐसे रहा है जैसे नवाब का नाती है।
-फिर भी बोलना न माँ, नाश्ते में क्या है?
-मुरमुरे।
-माँ, आज भी वह नमक वाली रोटी दे ना?
-नहीं, वो रोटी सुरेश के लिए है। तूने तो कल ही खाई थी ना।
आज तू मुरमुरे खा लेना।
-पर माँ, तू क्या खाएगी?
-मैं मालकिन के यहां सुबह का चाय पी लूंगी।
-चलती हूँ। कहकर गंगूबाई कांधे पर
झोला लेकर काम पर निकल गई।
सीमा सिंह: प्रतिष्ठित लेखिका एवं अध्यापिका।

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