“जब देखो मुए मोबाइल में घुसी रहती है।”

जया की सास का मानो ये तकिया कलाम हो गया था।

“बहू उ उ उ……,कब से आवाज दे रही हूँ,जब देखो मुए मोबाइल में घुसी रहती  हो” जया की सास लगभग चिल्लाकर बोली।

“आ ई ई ई…..

मम्मीजी,ये देखिए आपके लिए मदर्स डे का उपहार।”

पुराने वाले फोन का सिम नये स्मार्ट फोन में डालकर जया ने सासू माँ को देते हुए चलाना सिखाया।

इसके बाद सासू माँ ने कभी तकिया कलाम नहीं दोहराया।

सासू माँ भी खुश,जया भी खुश।

ज्योति अग्रवाला जोरहाट, असम  पत्रिकाओं, समाचार पत्रों ,सांझा संकलन में कविताएं,लेख आदि छपे हैं।कई साहित्यिक मंचो से भी जुड़ी  हैजहाँ साहित्यिक सम्मान मिले।