भावनाओं की कोमल
           मृदुल शक्ति

भौतिकता की
अर्थनैतिक शक्ति
नैतिकता की
आदर्शात्मक शक्ति
आध्यात्म की
             अटल-अगाध शक्ति

व्यक्त-अव्यक्त
चेतन-जड़ शक्ति
और भी अनेक
रूपों में शक्ति
‘शक्ति’ शब्द अनायास ही
भर देता है मन में
             सकारात्मक छवि

और हम
नमन कर मगन हो जाते हैं
परंतु
यही शक्ति
जब नकारात्मक हो जाए
तब
शक्तिवान के अहंकार
             की शक्ति

प्रलयवान के
ध्वंस की शक्ति
मानव से दानव बने
दम्भ की शक्ति
रक्षक से भक्षक बने
             स्वामित्व की शक्ति

क्रूरता से भरी
             वीभत्सता की शक्ति
और भी न जाने
कितने अधोरूप में शक्ति
इनका विस्तृत प्रसार
 बन कर ज्वाला की आग
कर रहा है सावधान …
‘शक्ति’ को नमन करो
             पर देख-भाल कर!

अर्थ का अनर्थ न हो
‘नमन’ दुरूपयुक्त न हो
हर पल विवेकयुक्त
             रहना है हो सतर्क
             यही है युग का धर्म!