मैं बेहोश-सी हो रही थी.... सिर घूमता हुआ लगा। मेरे पतिदेव और बच्चों की आँखों में आँसू थे। कुछ डाक्टर चिन्तित खड़े थे। अन्तिम बेला आ चुकी थी।
पूरा जीवन एक बार फिल्म की तरह आँखों के सामने घूम गया, नरक मिलना तो तय था। एक अँधेरे से गुजरते हुए सोच रही थी....'सारी उम्र लोगो के ताने सुने थे। कभी खुद को आँका ही नहीं, दूसरों के लिये ही जीती रही। हो सकता है कि स्वर्ग ही मिल जाये'.....
तभी एक आवाज गूँजी।
"इनको तो मोक्ष दे दो....नरक से तो ये सारी उम्र गुजरी हैं।