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लघुकथा

कील

Yogendra Shukl डॉ. योगेन्द्र नाथ शुक्ल   |   Spring 2025

     नया कैलेंडर फड़फड़ा रहा था। जिस कील पर वह टंगा था, उसे यह जरा भी नहीं सुहा रहा था। जब काफी देर तक कैलेंडर का फड़फड़ाना बंद नहीं हुआ तब कील से नहीं रहा गया।

“इतना घमंड मत करो... दशकों से मैं यहाँ लगी हूँ, लोहे की बनी हूँ, मजबूत दीवार पर टंगी हूँ। तुम्हारी तरह न जाने कितने कैलेंडर आए और फड़फड़ा कर या तो फट गए या साल के आखिरी दिन ‘डस्टबीन’में फेंक दिए गए।”

“बहन! तुमने मुझे गलत समझ लिया... मैं तो सिर्फ खुशी जाहिर कर रहा था। घमंड तो मैं कभी नहीं करता क्योंकि जीवन का दर्शन मैं जानता हूँ लेकिन तुम नहीं जानती!”

“चलो मैं अज्ञानी ही सही...तो तुम ही बता दो वह जीवन दर्शन...!”

“एक दिन समय तुम्हें और जिस मजबूत दीवार पर तुम टिकी हो... दोनों को ही नेस्तनाबूत कर देगा...I सुनो बहन! मैं उसी समय का प्रतिनिधि हूँ!”

      कील अब शर्मिंदगी महसूस कर रही थी।


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Yogendra Shukl डॉ. योगेन्द्र नाथ शुक्ल

डॉ. योगेन्द्र नाथ शुक्ल: देश की सभी प्रमुख पत्र- पत्रिकाओं में कहानी , शोध- आलेख, कविताएं, संस्मरण, बाल रचनाएं , व्यंग्य तथा लगभग ७५० लघुकथाएं प्रकाशित। “शपथ-यात्रा'(लघुकथा संग्रह), किताबघर दिल्ली से” लघुकथाओं का पिटारा”(अखिल भारतीय लघु कथा मंच द्वारा पुरस्कृत, २००८ का सर्वश्रेष्ठ लघुकथा संग्रह घोषित), किताबघर दिल्ली से ही “लघुकथाओं का खज़ाना”  प्रकाशित (मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत)। इसके साथ ही संस्कृत उर्दू, अंग्रेजी, सिंधी, मराठी, पंजाबी, गुजराती, मालवी आदि भाषाओं में अब तक १२ कृतियां प्रकाशित। “कथांजलि”संस्कृत में अनूदित पहला लघुकथा संग्रह।  उर्दू में अनूदित “बदलते पैमाने” पाकिस्तान में पढ़ा जा रहा। “दैनिक भास्कर”, “अंतर्राष्ट्रीय मानस संगम” (वार्षिक अंक) “रिसर्च २०००”, “वाग्धारा”, “समप्रभ”, “समय का साथी” , “हरिद्रा” आदि पत्र पत्रिकाओं, पुस्तकों का संपादन। म. प्र. हिन्दी ग्रंथ अकादमी” के तथा इंदौर विश्वविद्यालय के पूर्व सीनेट सदस्य।