वही शब्द देना मुझे
जिससे पूरी हो मेरी कविता
थोड़ा आशीर्वाद, देना संघर्ष घना
न दरबार, न आश्रय किसी का
आधा अधूरा जैसा भी हो
बस परिचय सीधा तुझसे मेरा हो
वही शब्द देना मुझे “माँ”
जिसके भीतर मेरे शब्द सुगंधित, प्रफुल्लित रहें
खाली पेट हो
अर्धनग्न तन हो
पर सत्यनिष्ठा से भरा शब्द देना
निडर, निर्भीक एवं निर्भय
पदचिह्न उड़ेल देना पथ में मेरे
बस इतनी भूख देना
जिससे पूरी मेरी कविता हो
कर पाऊँ तेरी वंदना हर रोज बिन भयभीत
उस दिशा का पथ देना
बदल सकूँ मैं खुद के भीतर का दानव
ऐसी मानव प्रवृत्ति देना
हे! माँ शारदा
वही शब्द देना मुझे
जिससे सार्थक हो मेरा जीवन।