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Poesy - कवितायन

ग़ज़ल- शहीदों को नमन

कालजयी घनश्याम, नई दिल्ली (kaljaay Ghanshyam)   |   Autumn 2025

समर में  जॉं पे  खेल कर अजब कमाल कर गए।
कि आने वाली पीढ़ियों के हित मिसाल कर गए।

चढ़े   हरेक  चोटी   पर  जहाँ  कोई  चढ़ा  न  था,
हथेली पर ले  सर वो  पेश इक  धमाल  कर गए।

चुका दिए हैं फ़र्ज़,  जान की कभी न  फ़िक्र की,
वसुंधरा  को  खून से  रंग  कर  निहाल कर  गए।

पटी  पड़ी   धरा   भी   दुश्मनों  के  रुंड-मुंड   से,
यूँ दुश्मनों के दिल जिगर में भय बहाल कर गए।

निभा के फ़र्ज़ ख़ुद   लिपट के आ गये तिरंगा में,
सदा तिरंगा ऊँचा  रख के  नभ विशाल कर गए।


-कालजयी घनश्याम, नई दिल्ली


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कालजयी घनश्याम, नई दिल्ली (kaljaay Ghanshyam)