“जी, सर, मैं आपसे कुछ पूछना चाहता हूँ,” आकाश के सहकर्मी विकास ने कहा।
“ जी, क्या पूछना चाहते हैं विकास जी!”
“आपकी जाति मैं जान सकता हूँ?”
विकास की बात सुनकर आकाश स्तब्ध रह गए। कुछ सेकंड बाद कहा, “ मैं हिन्दू हूँ भाई, जाति सुनकर क्या करोगे? शादीशुदा भी हूँ। पिछले साल ही मैंने शादी की है।”
“आपका पुश्तैनी पेशा क्या है?”
“विकास जी, पुश्तैनी पेशा से क्या मतलब? मेरे दादाजी किसान थे। पिताजी शिक्षक थे। मैं इंजीनियर हूँ। आगे मेरे बच्चे क्या करेंगे, यह उनकी योग्यता और रुचि पर निर्भर रहेगा।”
आकाश के जवाब से विकास फिर आगे प्रश्न करने का साहस जुटा नहीं पाए।
निर्मल कुमार दे जमशेदपुर एक प्रतिभाशाली लेखक हैं जिन्हें कहानी कहने का शौक है। विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित उनकी लघु कहानियाँ उनकी रचनात्मक प्रतिभा को प्रदर्शित करती हैं। कई राष्ट्रीय पुरस्कारों के साथ, उन्होंने खुद को भारतीय साहित्य में एक उल्लेखनीय आवाज़ के रूप में स्थापित किया है।